Why option selling is costly?
मित्र,
इसे समझने के लिए आपको प्रॉफिट लॉस के theorytical कांसेप्ट को समझना पड़ेगा।
चलिये ज्यादे दिमाग पर जोर न दें। मैं सबसे आसान शब्द में समझा देता हूँ। कॉल या पुट को थोड़ी देर के लिए दिमाग से निकाल दीजिये। बस खरीदारी और बिकवाली को ध्यान में रखें।
अब उदाहरण को आगे बढ़ाते हैं।
मान लीजिए किसी स्टॉक का प्राइस 10 रुपया है।
केस 1: अब यदि आप इसे खरीदते हैं तो आपका मैक्सिमम रिस्क कितना होगा ?
शेयर यदि बहुत गिर गया तो भी शून्य से निचे नहीं जाएगा। अर्थात खरीदारी के कंडीशन में रिस्क फिक्स है।
वहीं दूसरी ओर
केस 2: यदि हम इस शेयर को बेचते हैं। तो ऐसे में यह जितना नीचे जाएगा हमें प्रॉफिट है और जितना ऊपर जाएगा हमें नुकसान।
सही है?
अब ऐसे में देखें तो इस स्टॉक में सेलर का मैक्सिमम प्रॉफिट 10 रुपया फिक्स है। क्योंकि शेयर इससे नीचे नहीं गिरेगा। लेकिन वहीं यदि रिस्क की बात करें तो शेयर 10 से ऊपर अनलिमिटेड बढ़ सकता है। यानी एक सेलर का रिस्क सीमित नहीं होता है।
इसी को ध्यान में रखकर ब्रोकर सेलर से ज्यादे मार्जिन मांगता है। ताकि असीमित नुकसान की कंडीशन में इसका भरपाई किया जा सके।
उम्मीद है आपको सरल शब्द में समझ मे आया होगा कि सेलर को ज्यादे पैसे क्यों लगते हैं।
उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।
धन्यवाद
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