शेयर बाजार में ऐसा क्या होता है जो आम निवेशक नहीं जानता है और अपना सारी पूंजी गवांकर घर बैठ जाता है?

Why 95 percent of Indian Traders Lose Money?

मित्र,

उत्तर को लेकर वास्तविकता रखते आये हैं। चलिये आपके इस प्रश्न के लिए भी वास्तविकता रखने का प्रयास करते हैं।

यदि हम ऐसा कहें कि निवेशक बिना जाने और समझे नुकसान करते हैं तो यह पूर्णतया गलत होगा क्योंकि मैं मानता हूं नुकसान करने वाले सभी निवेशक को पता होता है कि वह क्या गलतियाँ कर रहे हैं और उन्होंने क्या गलतियाँ करी है।

लेकिन दिक्कत बस इतनी सी है कि ज्यादेतर ट्रेडर के आंखों पर लालच के चश्मे पड़े हुए हैं जो उन्हें जानते हुए और समझदार होते हुए भी पर्दे में रहने देते हैं।

चलिये शंसय में नहीं रहिये..मैं सारी चीजो को क्लियर करता हूँ।

यदि हम आपसे कहें कि आज मैंने बाजार में हजार रूपये कमाए थे , कल 5 हजार का प्रॉफिट था और परसो 2 हजार का।

आप बिना समय लिए कहेंगे कि सर् फिर कल आपने अच्छा ट्रेड किया था।

सही है?

प्रॉफिट फिगर को देख कर ही मैंने यह कैसे जज कर लिया कि कल मेरा अच्छा ट्रेड गया था।

संभव है कि आज मैंने सिर्फ 100000 से ट्रेड किया था। कल 5 लाख से और परसो सिर्फ 2 लाख से ।

ये भी तो संभव है।

यानी निष्कर्ष तक पहुचने के लिए हमें पूरी बातें पता होनी चाहिए। लेकिन ज्यादेतर रिटेल निवेशक के सामने जैसे प्रॉफिट फिगर पहुँचता है..वो निष्कर्ष निकालना शुरू कर देते हैं।

कई निवेशक बाजार में आपको ऐसे भी मिलेंगे। जिनसे आप बात करेंगे तो पता चलेगा कि सर् पहले ट्रेड में हम प्रॉफिट में रहते हैं लेकिन आखिरी आखिरी तक फिर सब नुकसान करके मूल राशि मे से भी नुकसान हो जाता है।

जब आप जानते हैं कि पहली ट्रेड में प्रॉफिट हो जाता है। क्योंकि उस वक्त हम फ्री माइंड से ट्रेड लेते हैं तो फिर दूसरी ओर तीसरी ट्रेड क्यों?

और जब दूसरी और तीसरी ट्रेड ले ही लिया तो जो पहली बार कमाया था ..उसी प्रॉफिट को ध्यान में रखकर रिस्क लेना चाहिए न ताकि जेब से कुछ न जाये।

कुछ ट्रेडर से बात करने में आपको पता चलेगा कि सर् एक गलत ट्रेड होने के बाद उसे प्रॉफिट में कन्वर्ट करने के चक्कर मे और नुकसान कर बैठते हैं।

हम यह समझते हैं कि बाजार सेंटीमेंट्स से चलता है और लड़कर यहाँ हम एक दिन जीत जाएंगे..हमेशा नहीं। तो फिर बाजार से ये लड़ाई क्यों।

कहने का सीधा सा अर्थ यह है कि हम समझते सब कुछ हैं। लेकिन लालच हमें मानने नहीं देता है।

हम यह जानते हैं कि बाजार के हजार रुपये रोजाना कमाने के लिए 8-10 घंटे रोजाना आफिस में मेहनत करना पड़ता है। लेकिन उसी बन्दे को बाजार में हजार रुपये रोजाना की चाहिए और वो भी बिना मेहनत किये, बिना समय दिए ।

अगर ऐसी आकांक्षाओ के साथ आम निवेशक बढ़े तो पूंजी गंवाना तो तय है।

उम्मीद है आपको समुचित उत्तर मिला होगा।

धन्यवाद


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