अगर एक पंक्ति में उत्तर दें तो गलत समय मे आये डर और कॉन्फिडेंस की वजह से शेयर बाजार में पैसा डूबता है।
नहीं समझ आया.. रुकिए आसान शब्दो मे समझते हैं।
मान लीजिए सोहन ने Xyz कंपनी का एक शेयर 500 रुपये पर ख़रीदा। उसकी एनालिसिस के अनुसार शेयर का मूल्य बढ़ने वाला है और यह वर्तमान मूल्य से बढ़कर 515 तक जा सकता है। ऐसे में उसने 510 का लक्ष्य रखा।
सोहन जोखिम के प्रति भी थोड़ा सा जागरूक है और उसने जोखिम की ओर देखा तो पाया कि अगर शेयर 493 तक आता है तो निकल जाना बेहतर होगा क्योंकि इससे नीचे यह और गिरेगा।
इन सभी चीजो को सोचकर उसने 509 पर खरीदारी कर लिया। उसने खरीदने के बाद प्राइस बढ़ना शुरू हुआ और यह बढ़कर 505 रुपये तक गया। सोहन बेहद खुश था। उसका विश्वास 510 के लिए बढ़ गया था। लेकिन तभी शेयर में प्रॉफिट बुकिंग बना और यह 505 से गिरकर 502 आ गया। सोहन डर गया लेकिन उसने इन्तेजार किया। फिर प्राइस 502 से 504 गया और 504 से 501।
इस बार सोहन के कॉन्फिडेंस ने जबाब दे दिया क्योंकि डर उसके ऊपर हावी हो गया था।
लेकिन तभी प्राइस बढ़ना शुरू हुआ और जैसे ही 504 गया,सोहन ने 4 रुपये का प्रॉफिट लिया और बाहर हो गया।
गौर करने वाली बात है उपरोक्त सभी मूव में सोहन प्रॉफिट में था लेकिन फिर भी उसका कॉन्फिडेंस ने जबाब दे दिया।
अब गौर कड़ते हैं दूसरे मूव की ओर:
सोहन ने ख़रीदा और प्राइस गिरकर 495 आ गया। सोहन अपने ट्रेड को लेकर कॉन्फिडेंट है। शेयर फिर गिरा और 490 आ गया। उसने अपने सोचे 493 पर नही बेचा क्योंकि उसके मन मे था कि अभी सिर्फ 10 रुपये तो गिरा है ये यूं ही बढ़ जाएगा। फिर शेयर गिरा और 485 आ गया। अब सोहन यह सोचकर होल्ड करेगा कि प्राइस मात्र 15 रुपये गिरा है और इतना बढ़त आसानी से मिल सकता है।
अब गौर करने वाली बात है कि नुकसान में चल रहे पोजीशन में जहां कॉन्फिडेंस गिरना चाहिए वहां कॉन्फिडेंस बढ़ते चले जाता है।
ऐसे में कमाया 4 और गंवाया 15। थोड़ा समझने वाले शब्दों का प्रयोग करूँ तो आमदनी अठन्नी हर खर्चा रुपिया.... तो ऐसे में कबतक टिकोगे यहां भैया।
ऐसे ही शेयर बाजार में पैसा डूबता है।
उम्मीद है आपको समुचित उत्तर मिला होगा
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