कॉल या पुट, दोनो ही ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़े शब्द हैं। जहां कॉल बढ़ते बाजार को रिप्रेजेंट करता है तो वहिं पुट गिरते बाजार को।
यदि इससे सरल शब्द में कहें तो एक ऑप्शन बायर के रूप में अगर बाजार में बढ़त की उम्मीद है तो हम कॉल ऑप्शन की खरीदारी कड़ेंगे और वहीं यदि बाजार में गिरावट के sign मिल रहे हैं तो पुट ऑप्शन की खरीदारी।
वहीं दूसरी ओर यदि ऑप्शन सेलर हैं तो बाजार बढ़ने के sign के साथ पुट सेल कड़ेंगे और घटने के sign के साथ कॉल ऑप्शन को सेल कड़ेंगे।
उम्मीद है कॉल और पुट दोनो समझ मे आया होगा।
रही बात फायदे और नुकसान का तो ये निम्नांकित है।
1)कम पैसे में प्रीमियम आधारित सेटअप की वजह से अधिक क्वांटिटी खरीदा जा सकता है।
2)ऑप्शन खरीदारी में सीमित नुकसान पर असीमित मुनाफे कि सुविधा।
3)हेजिंग में कारगर।
इत्यादि
नुकसान:
1)समय बीतने के साथ ऑप्शन की वैल्यू घटते जाता है।
2)ऑप्शन प्रीमियम में ज्यादे उतार-चढ़ाव होता रहता है।
3)ऑप्शन को बेचने वाले का रिस्क असीमित होता है।
उम्मीद है आपको समुचित उत्तर मिला होगा।
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