ट्रेडिंग तो दोनो ही सेम है। जहां सस्ता खरीदकर महंगा बेचना प्रॉफिट देगा तो दूसरी ओर महंगा बेचकर सस्ता खरीदना प्रॉफिट देगा।
लेकिन फिर भी स्टॉक ट्रेडिंग और फोरेक्स ट्रेडिंग में 4 चीजें अलग हो जाता है।
1)लिक्विडिटी:
स्टॉक ट्रेडिंग के तुलना में फोरेक्स ट्रेडिंग के अंदर लिक्विडटी बहुत अधिक होता है। जिसकी वजह से आपको हमेशा से एक बेहतर रिस्क रिवॉर्ड का ट्रेड बनते दिखेगा।
2)मार्जिन:
भारतीय बाजार के संदर्भ में वर्तमान में सिर्फ निफ़्टी टॉप के स्टॉक के अंदर 5 गुना का मार्जिन मिलता है। अर्थात यदि आप 10 हजार का निवेश कर रहे हैं तो अधिकतम 50 हजार तक के शेयर खरीद सकते हैं।
वहिं फोरेक्स बाजार में लगभग सभी ब्रोकर 100 गुना मार्जिन की सुविधा देता है। अर्थात यदि आप 10 हजार का निवेश कर रहे हैं तो 10 लाख तक के ट्रेड पंच कर सकते हैं।
3)बाजार अवधि:
भारतीय बाजार के संदर्भ में स्टॉक ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास सुबह 9:15 से 3:30 तक का समय रहता है । वहिं फोरेक्स बाजार लगभग 20/5 चलता है। ऐसे में आप अपने किसी भी फ्री समय मे ट्रेड कर सकते हैं।
ये हो गईं वो चीजें जो आपको फोरेक्स की ओर आकर्षित करता है। लेकिन हमें एक खामियों पर भी गौर करना चाहिए जोकि स्टॉक ट्रेडिंग और फोरेक्स को अलग करता है।
4)रेगुलेटर:
भारतीय स्टॉक बाजार को SEBI रेगुलेट कड़ता है। ऐसे में आपके एकाउंट में डले पैसे के साथ कभी भी withdraw जैसी दिक्कतें नहीं आएगा। लेकिन फोरेक्स बाजार में ऐसा देखा गया है कि अधिकांश ब्रोकर अधिक प्रॉफिट या बड़ी अमाउंट डालने के बाद withdraw में दिक्कत क्रिएट करते हैं। यह फॉरेक्स बाजार का एक मेजर इशू है। ट्रेड से पहले इसका ध्यान रखना भी आवश्यक है।
रही बात ट्रेडिंग का तो जैसे कि मैंने ऊपर बताया कि दोनो एक जैसा ही है। टेक्निकल भी दोनो में एक जैसा ही लगता है।
उम्मीद है आपको समुचित उत्तर मिला होगा।
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