शेयर के प्राइस में बढ़त या गिरावट के कारण को यदि आपको समझना है तो फिर बिडिंग के कांसेप्ट को समझना होगा।
चलिए टेक्निकल शब्दो से हटकर दैनिक जीवन से जुड़े उदाहरण के साथ उत्तर देते हैं। जिससे ऐसे व्यक्ति को भी आसानी से समझ मे आ सके जिन्हें बाजार का ABCD नहीं पता।
आप सभी ने किसी न किसी पुरानी फ़िल्म में घरों की नीलामी तो देखा ही होगा।
वहां क्या होता है?
पहले से घर का कुछ प्राइस निर्धारित होता है। जैसे मान लेते हैं 10 लाख ।
अब
1)एक व्यक्ति आता है और कहता है कि हम 10 लाख 50 हजार देंगे।
2)दूसरा कहता है 11 लाख।
3)तीसरा कहता है 11 लाख 50 हजार।
4)चौथा कहता है 12 लाख।
सही है...?
इसी प्रकार नए खरीदार आते जाएंगे और कीमत बढ़ते चले जाएगा। हरेक खरीदार को उस घर मे कुछ ऐसा वैल्यू नजर आता है कि वह किसी कीमत पर उसे खरीदना चाहते हैं।
जिसकी वजह से हरेक नया बिडिंग प्राइस को बढ़ाते चला जा रहा है।
अब इसके विपरीत मान लेते हैं कि घर की नीलामी मूल्य तो 10 लाख ही है लेकिन कोई खरीदने वाला ही न आया। सेलर ने एक दिन इन्तेजार किया। दो दिन इन्तेजार किया।
लेकिन जब वर्तमान मूल्य पर खरीदार न मिल रहा है तो यह सोचकर दाम घटाने लग जाता है कि शायद प्राइसिंग अधिक होने की वजह से लोगो को यह महंगा लग रहा है।
यही चीज शेयर बाजार में भी होता है। यदि किसी शेयर में खरीदार बढ़ने लगे जाय तो बढ़ती बिडिंग उसके मूल्य को बढ़ाते चले जाता है। वहीं यदि खरीदार न मिले और महंगा जानकर लोग बेचना शुरू कर दे तो कीमत में गिरावट देखने को मिल जाता है।
उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।
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