शुरुआती ट्रेडर्स के लिए ट्रेडिंग मनोविज्ञान पर कुछ महत्वपूर्ण टिप्स क्या हैं?

 ट्रेडिंग मनोविज्ञान को लेकर एक अहम जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से आप समझ सकते हैं। क्योंकि बहुत tuff समय बिताने के बाद मैंने इसके महत्व को सीखा और समझा।

मैं एक सामान्य सी लेकिन ऐसी गलती का जिक्र यहां कर रहा हूँ जो लगभग ज्यादेतर रिटेल ट्रेडर बाजार में कड़ते हैं और कड़ते ही नहीं है इसे लगातार दुहराते रहते हैं। आप यकीन न कड़ेंगे सिर्फ इस एक गलती को सुधारकर हम भावनात्मक उठापटक को बहुत हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।

मैंने भी शुरुआती दिनों में इस गलती को जम कर किया था और इसका अच्छा खासा खामियाजा भी भुगता। इस गलतियों को जिक्र आपको किसी भी सोशल प्लेटफार्म पर देखने को नहीं मिलेगा।

वह गलती है "ट्रेड लेने कर बाद एकाउंट में चल रहे प्रॉफिट लॉस को देखते रहना" ।

सम्भव है सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि ये कैसी गलती है। जाहिर सी चीज है कि अगर हमने ट्रेड लिया है तो कितना प्रॉफिट लॉस चल रहा है यह देखना तो बनता है।

आप अपनी जगह सही हैं लेकिन आइये इसे एक लाइव उदाहरण से समझते हैं कि यह सबसे बड़ी गलती कैसे है।

सोहन नाम के बन्दे ने किसी कंपनी के 1000 शेयर 200 के मूल्य पर खरीदे। खरीदने के बाद प्राइस बढ़ा और 202 चला गया। सोहन की आदत है कि वह ट्रेड लेने के बाद एकाउंट में चल रहे प्रॉफिट लॉस को मॉनिटर करते रहता है। यानी दो रुपये की बढ़त के साथ उसके एकाउंट में 2000 कई प्रॉफिट दिख रहा था। थोड़ी देर बाद प्राइस और बढ़ा और बढ़कर 2034 हो गया। यानी अब उसके एकाउंट में 4000 कई प्रॉफिट चल रहा है।

गौर करने वाली बात है कि ह्यूमन मनोविज्ञान यहां पर यह कहता है कि सोहन का दिमाग इस प्रॉफिट को देखकर यह मान चुका है कि आज 4000 कमा लिए।

लेकिन तभी प्राइस 204 से गिरकर 203 आ जाता है। यानी जो 4000 कि प्रॉफिट दिख रहा था वो अब सिर्फ 3000 बचा।

अब यहां से असली भावनात्मक खेल शुरू होता है।

क्योंकि दिमाग स्वीकार कर चुका था कि 4000 हमने कमा लिया है और उसमें से 1000 कम होना बर्दास्त नहीं कर पाता।

अब एक्स्ट्रा कैलकुलेशन उसके दिमाग मे चलता है की जैसे ही वापिस 4000 पर आएगा बुक कर लेंगे।

लेकिन तभी स्टॉक फिर 50 पैसे नीचे गिर जाता है। यानी जो ट्रेड पहले 4000 दिखा रहा था अब वहां सिर्फ 2500 बचा।

फिर स्टॉक बढ़ना शुरू होता है और वह वापिस 4000 के प्रॉफिट तक पहुँच जाता है। लेकिन इस बार चुकी वह देख चुका है कि एकबार वह देख चुका है कि उज़के खरीदे स्टॉक 4000 से 2500 तक गया और फिर 2500 से 4000 के प्रॉफिट में आ गया है।मतलब की स्टॉक और बढ़ने वाला है। वह निकलता नहीं है।

लेकिन फिर शुरू होता है गिरावट का टर्म। वापिस प्रॉफिट 1000 रुपये नीचे आता है। वह रुका रहता है क्योंकि उसने देखा था कि प्रॉफिट आखिरी टाइम 2500 से पलट कर 4000 आया था।

फिर स्टॉक 2000 रुपये और नीचे गुर जाता है। वह रुका रहता है।

और आखिरी में या तो नो प्रॉफिट नो लॉस के साथ या नुकसान में ट्रेड बन्द कर देता है।

रुकिए कहानी अभी खत्म नहीं हुआ है।

असली कहानी तो अब शुरू होता है। चूंकि दिमाग 4000 की प्रॉफिट देख चुका था तो वह अब सिर्फ 4000 को ध्यान में रखकर आगे ट्रेड के बढ़ता है कि बस इतना किसी स्टॉक से निकल जाए तो बाहर बैठ जाएंगे। और उस दिमाग मे बैठे 4000 को प्राप्त करने के लिए वह बाजार लड़ना शुरू कर देता है।

अब इन सबके बीच मे आपने गौर किया कि प्रॉफिट और नुकसान पर ध्यान टिके होने की वजह से सोहन यह ध्यान नहीं दे पाता है कि चार्ट क्या कह रहा है।

और जब ध्यान असल मुद्दे यानी चार्ट से हट जाए और सिर्फ नफे नुकसान पर टिक जाए तो सिर्फ नुकसान ही होता है।

मैं हमेशा कहता हूं कि यदि इस बाजार में आपको अच्छा करने है तो ट्रेड लेने के बाद पोजीशन को देखने की जगह ध्यान चार्ट पर रखना चाहिए। जिससे भावनात्मक नियंत्रण तो हो ही जाता है और साथ मे हम वह कर रहे होते हैं जो हमें करना चाहिए। जबकि प्रॉफिट नुकसान पर ध्यान रखते हुए आगे बढ़ने पर हम सिर्फ वो कर रहे होते हैं जो एकाउंट का रेड और ग्रीन हमसे करवाता रहता है।

मैं मानता हूं यह सबसे बड़ी गलती है और एक लंबे अरसे मैं खुद भी इसका भुक्त भोगि रह चुका हूं।

उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा

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