कभी-कभी सेंसेक्स के गिरने के बाद भी शेयरों के भाव क्यों बढ़ते हैं और सेंसेक्स बढ़ने के बाद भी कुछ शेयरों के भाव क्यों गिरते हैं?

 चलिये शुद्ध देशी भाषा मे समझाता हुँ।

कई लोग ऐसा सोचते हैं कि अगर बेंचमार्क इंडेक्स निफ़्टी/सेंसेक्स में यदि गिरावट है तो पूरा बाजार गिर रहा होगा। या फिर यदि ये बेंचमार्क इंडेक्स में बढ़त है तो सभी स्टॉक को बढ़ना चाहिए।

लेकिन ऐसा नहीं है।

आपको इंडेक्स के इंडेक्सन को समझना होगा। निफ़्टी इंडेक्स के अंदर मार्केट वेटेज के अनुसार टॉप 50 कंपनियां शामिल है। वहीं सेंसेक्स में मार्केट वेटेज के अनुसार टॉप 30 कंपनियां शामिल होता है।

अब उस 50 स्टॉक का मूव निफ़्टी का मूवमेंट निर्धारत कड़ता है और 30 स्टॉक का मूव सेंसेक्स का।

अब यहां भी ये जरूरी नही की निफ़्टी या सेंसेक्स में गिरावट है तो उसके अंदर के क्रमशः 50 और 30 स्टॉक में गिरावट हो ही।

क्योंकि उस 50 स्टॉक में भी सभी स्टॉक का वेटेज एक जैसा नहीं होता है। किसी का वेटेज ज्यादे तो किसी का उससे कम तो किसी का उससे भी कम।

अब जैसे एक उदाहरण से समझिए।

मान लीजिए यह इंडेक्सन सिर्फ 5 स्टॉक का होता है और टोटल मार्केट वेटेज 100 है। अब उस 100 मे से रिलाइंस का वेटेज 30 है। HDFC बैंक का वेटेज 30 है। SBIN का वेटेज 20 है। ICICI का वेटेज 10 है और टाटा मोटर का वेटेज 10 है।

अब अगर रिलाइंस,HDFC और ICICI बढ़ रहा है और टाटा मोटर और SBIN में गिरावट है तो भी निफ़्टी में बढ़त ही देखने को मिलेगा।

क्योंकि यदि वेटेज कैलकुलेट कड़ें तो पाएंगे कि बढ़ने का वेटेज 70 है तो गिरने का वेटेज 30 है।

वहीं यदि अधिक वेटेज वाले स्टॉक में गिरावट होता तो निफ़्टी में भी गिरावट देखने को मिलेगा।

बढ़त और गिरावट का यही कांसेप्ट है।

सब वेटेज का खेल है। ऐसे अगर इस देशी भाषा से हटकर बाजार के कांसेप्ट पर आ जाएं तो यह सब खेल बीटा वैल्यू का भी कहा जा सकता है। सभी स्टॉक का इंडेक्स के संदर्भ में बीटा वैल्यू अलग होता है। जिसकी वजह से आपको ये ट्रेंड में अंतर नजर आता है।

उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।

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