बाजार में दो मेंटेलिटी हमेशा से एक्टिव रहता है। एक जो बाजार में बढ़त देखता और इसी को ध्यान में रखकर हरेक गिरावट पर स्टॉक को खरीदता है। अर्थात उनकी रणनीति Buy on deep का होता है।
वहीं दूसरी मेंटेलिटी सेलर का होता है जो हमेशा से sell on rise वाली रणनीति को फॉलो कड़ता है।
यदि बाजार के संदर्भ में देखें तो यहां 4 प्रकार के प्लेयर हैं।
1)रिटेल ट्रेडर: जिनका कोई निर्धारित रणनीति नहीं है। ये कैंडल के अनुसार अपनी रणनीति बदलते रहते हैं। अगर चार्ट अपट्रेंड में है तो ये खरीदार और downtrend में दिखा तो सेलर।
2)DII: जोकि निवेशक माइंडसेट का है। यह बाजार के बने हरेक डीप में खरीदारी कड़ता है और बढ़त के दौरान बेचता है।
3)FII: यह ट्रेडर मेंटेलिटी का होते हैं। अर्थात अगर बाजार में हाई वैल्यूएशन नजर आता है तो सेलर बन जाते हैं और यदि low वैल्यूएशन में नजर आता है तो खरीदारी शुरू कर देते हैं।
4)प्रॉप डेस्क: ये निवेशक और ट्रेडर दोनो का मिलाजुला मेटीरियल है। यह हरेक डीप में खरीदारी तो नहीं करता है लेकिन एक फिक्स बॉटम के पास अवश्य खरीदारी कड़ता है और अगर उससे भी नीचे बाजार जाता है तो अगली खरीदारी के लिए बॉटम निर्धारित करता है। वहिं पहले बॉटम से दूसरे बॉटम के बीच मे ट्रेडर के रूप में सेल साइड की पोजीशन लेकर चलता है।
अब शायद आप समझ गए होंगे की DII ऐसा क्यों करते हैं क्योंकि यह उनके रणनीति का हिस्सा है।
उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।
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