कभी आपने आसपास के किराने की दुकान,सैलून, पार्लर,दबा दुकान,स्कूल,मोटर मैकेनिक,पेट्रोल पंप वाले को देखा है?
आप कहेंगे कि ये भी कोई कहने की बात है.. रोजाना देखते हैं।
आपने गौर किया वो कैसे कमा कर ले आते हैं?
आप कहेंगे बिल्कुल। वो होलसेल में समान उठाते हैं जहां बाजार मूल्य से उन्हें कुछ सस्ता मिलता है और फिर बाजार मूल्य से बेचकर प्रॉफिट कमा लाते हैं।
कभी आपने गौर किया कि वो महंगा समान भी उठा लाते हैं और उसे सस्ते में बेचना पड़ता है। आप कहेंगे ये तो नहीं गौर किया?
मैं गौर करवाता हुँ। उस जनरल स्टोर वाले का सोचिये जिसने होलसेल में प्याज 30 रुपये किलो लाया हो और बाजार में मूल्य गिर कर 20 रुपये हो जाता है। ऐसे में उसे नुकसान में ही निकालना पड़ता है।
उसी बाजार की तरह ही शेयर बाजार भी है जहां सस्ता खरीदकर महंगा बेचने वाले प्रॉफिट कमा लाते हैं और महंगा खरीदने के बाद मूल्य सस्ता होने पर निकलने वाले गंवा के बाहर हो जाते हैं।
अब ये उस व्यापारी के टैलेंट पर निर्भर करता है कि वह चीजो को कैसे सस्ते दर पर उठाए और महंगा उठाने से बचे और यह टैलेंट उसके बाजार में व्यतीत किये समय और उससे प्राप्त अनुभव से आता है।
शेयर बाजार में भी ऐसा ही है। जो पैसा कमा लाते हैं उन्होंने इसके लिए समय और मेहनत दोनो लगाया है। हाँ समय और मेहनत, उन चीजो को समझने में कि कब कोई शेयर सस्ते दर पर उपलब्ध है और कब यह महंगा हो सकता है या फिर महंगा हो गया है।
जिन्हें आप देखते हैं कि वह शेयर बाजार से पैसे कमा लाता है उसमें यह भी आप देखते होंगे की वह अनुशासित है। रोजाना बाजार को समय देता है। रोजाना कुछ नया केस स्टडी prepare कड़ता है।
संक्षिप्त में अन्य बाजार की तरह ही शेयर बाजार में भी सस्ते मूल्य पर खरीदारी और महंगे मूल्य पर बिकवाली करने वाले पैसे कमा लाते हैं। हाँ सभी के द्वारा यह निर्धारित करना कि अब शेयर सस्ते में मिलेगा या मिल रहा है का तरीका और शोध अलग होता है।
उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।
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